मित्रों, काल सर्प दोष एक ऐसा दोष है जो आपके द्वारा या हमारे पिछले जीवन में किए गए अपराध के परिणाम स्वरूप हमारी कुंडली में पाया जाता है । हमारे शास्त्रों में काल सर्प दोष को 'कर्तरी' दोष के समान माना गया है। कई जगहों पर इसे सर्प दोष के नाम से भी जाना जाता है। अब कई लोगों के सामने यह सवाल होगा कि इसका पता कैसे चलेगा। तो आपको बता दें कि सौरमंडल के नौ ग्रहों में राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं। राहु के जन्म नक्षत्र के स्वामी काल और केतु के नाग होते हैं, इसलिए जब भी किसी मनुष्य की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच बैठते हैं तो वे कालसर्प दोष बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो आज ही कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में करवाई।
यूं समझ लीजिए कि शांति,खुशी व उन्नति उसके जीवन से मुंह मोड़ लेते है। घर में हर रोज़ कलेश,संतान अवरोध या संतान की प्राप्ति ना होना, अंग हीन हो जाना,हर समय सब कुछ अशुभ होना आदि ये सभी बातें फिर आम सी होने लगती है। मुख्य रूप से 12 प्रकार के कालसर्प दोष माने गए है जिनके नकारात्मक प्रभाव से जातक की जान भी जा सकती है।
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